खनिज (minerals in hindi) क्या है यह कितने प्रकार के होते हैं इनका वर्गीकरण कीजिए

पृथ्वी के भू-गर्भ से निकले गए भौतिक एवं रासायनिक गुणों वाले यौगिक जिनका संगठन निश्चित होता है खनिज (minerals in hindi) कहलाते हैं ।

खनिज पदार्थ भूमि के गर्भ को खोदकर निकाले जाते हैं इनका निर्माण चट्टानों के विघटन के कारण होता है ।

खनिज का अर्थ | minerals meaning in hindi

खनिज का शाब्दिक अर्थ (minerals meaning in hindi) - खनिज शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हैं - खनि + ज जिसका अर्थ होता हैं, "खान से उत्पन्न" होने वाले पदार्थ ।

खनिज का अंग्रेजी अनुवाद मिनरल्स (minerals) होता है जिसका अर्थ "माइन" से होता हैं ।

खनिज क्या हैं? | minerals in hindi

चट्टानों के विघटन से खनिजों का निर्माण होता है, प्राय: इनकी निश्चित आकृति या रूप भी होता है ।

दो या दो से अधिक तत्वों के रासायनिक योग से मिलकर बने पदार्थ खनिज (minerals in hindi) कहलाते हैं ।

खनिज पदार्थ प्रकृति में पाए जाने वाले समांग अकार्बनिक पदार्थ है जिन का रासायनिक संगठन निश्चित होता है ।

खनिज की परिभाषा | definition of minerals in hindi

खनिज की परिभाषा - "निश्चित संगठन के ऐसे रासायनिक यौगिकों जो दो या दो से अधिक तत्वों से मिलकर बनते हैं खनिज (minerals in hindi) कहलाते हैं इस प्रकार प्रत्येक खनिज एक रासायनिक यौगिक होता है ।"


खनिज पदार्थों के महत्वपूर्ण गुण | Importance properties of minerals


खनिज पदार्थों का महत्व निम्नलिखित है -

  • खनिज पदार्थों के विभिन्न रंग होते हैं, जैसे- नीले, हरे, पीले, आदि ।
  • खनिजों में विभिन्न प्रकार की चमक होती है । जैसे - स्वर्ण, कॉपर, आदि में एक निश्चित धात्विक चमक होती है इसी प्रकार काँच, डायमन्ड आदि में अधात्विक चमक होती है ।
  • खनिज पदार्थों का अपना अलग - अलग विशेष आकार होता है जिसे रवा कहते हैं । ये घनाकार चतुष्कोणीय, ट्राइमेट्रिक, नोनोक्लीनिक, ट्राइक्लीनिक षट्भुजाकार आकार के होते हैं ।
  • खनिज पदार्थ बहुत कठोर होते हैं, जैसे - हीरा ।
  • कुछ खनिज पूर्ण पारदर्शी, कुछ अल्पपारदर्शी तथा कुछ अपारदर्शी होते हैं ।
  • कुछ खनिज अधिक भारी, कुछ मध्यम भार के तथा कुछ हल्के होते हैं । खनिजों के भार को आपेक्षिक घनत्व से प्रकट करते हैं ।


खनिज किसे कहते हैं | khanij kise kehte hain

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खनिज कितने प्रकार के होते हैं | types of minerals in hindi

खनिजों का वर्गीकरण मुख्यता: दो भागो में किया गया हैं -

  1. उत्पत्ति के आधार पर
  2. रासायनिक संगठन के आधार पर


1. उत्पत्ति के आधार पर खनिजों का वर्गीकरण -


उत्पत्ति के आधार पर खनिज दो प्रकार के होते हैं -

  • प्राथमिक खनिज ( Primary Minerals )
  • द्वितीयक खनिज ( Secondary Minerals )


प्राथमिक खनिज ( Primary minerals ) —

ये खनिज मूल चट्टानों के मुख्य अवयव होते हैं । इनका रासायनिक संघटन अपरिवर्तित रहता है । इनके कणों का आकार 2 या 0.002 मिमी ० से अधिक होता है ।

प्राथमिक खनिज निम्न प्रकार हैं -

  • क्वार्ट्ज ( SiO2 )
  • आर्थोक्लेज ( Orthoclase ) या माइक्रोक्लाइन
  • प्लेजियोक्लेज ( Plagioclase )
  • मस्कोवाइट ( Muscovite )
  • बायोटाइट ( Biotite )
  • हार्नब्लेंडे ( Hornblende )
  • औगाइट ( Augite )


द्वितीयक खनिज ( Secondary minerals ) -

मूल प्राथमिक खनिजों या चट्टानों के ऊपर जलवायु एवं रासायनिक सम्बन्धी कारकों की अभिक्रिया होने से ये खनिज बनते हैं । इनके कणों का आकार 24 से कम होता है ।


द्वितीयक खनिज निम्न प्रकार हैं -

  • कैल्साइट ( Calcite ) - CaCO3
  • डोलोमाइट ( Dolomite ) - CaMg(CO3)2
  • जिप्सम ( Gypsum ) - CaSO4.2H20
  • हीमेटाइट ( Hematite ) - Fe2O3
  • लाइमोनाइट ( Limonite ) - Fe2O3.3H2O
  • एपेटाइट – Ca3(PO4)2(Cl2F)
  • गिब्बसाइट ( Gibbsite ) – Al2O3.3H2O
  • पाइराइट्स ( FeS2 ) - आयरन डायसल्फाइड खनिज है ।
  • क्ले खनिज ( Al Silicates )


क्ले खनिज ( Clay minerals ) –

प्राथमिक खनिजों पर रासायनिक अपक्षय (chemical-weathering) के कारण क्ले खनिजों का निर्माण होता है ।
जैसे — आर्थोक्लेज फेल्सपार का जल विश्लेषण होने पर क्ले खनिजों का बनना । क्ले खनिज सिलिका की चतुष्फलकीय परतों (sheets of silica tetrahedra) और गिब्बसाइट या एलुमिना की अष्टफलकीय परतों (gibbsite octahedra) से बने होते हैं ।

क्रिस्टल इकाइयों में उपस्थित सिलिका तथा एलुमिना की परतों की संख्या एवं व्यवस्था अनुसार क्ले खनिज मुख्यतः निम्न वर्ग के होते हैं -

  • केओलिनाइट वर्ग ( Kaolinitic group ) – 1 : 1 टाइप खनिज ( सिलिका : एलुमिना )
  • सजल माइका वर्ग ( Hydrous micas group ) – 2 : 1 टाइप न फैलने वाले खनिज ।
  • मोन्टमोरिलोनाइट वर्ग ( Montmorillonite group ) – 2 : 1 टाइप फैलने वाले खनिज ।


केओलीनाइटिक वर्ग में केओलीनाइट सबसे अधिक स्थिर है । केओलीनाइट के प्रत्येक क्रिस्टल इकाई में एक परत एलुमिना ( गिब्बसाइट ) तथा एक परत सिलिका की होती है (1 : 1 lattice structure) । ये दोनों परतें परस्पर ऑक्सीजन से जुड़ी होती हैं । दोनों परतों का परिमाप 7.2A होता है । चूँकि क्रिस्टल इकाइयाँ अधिक मजबूती से (O-OH द्वारा ) जुड़ी रहने के कारण इनके बीच धनायन्स एवं जल का प्रवेश नहीं होने पाता । इनकी धनायन विनिमय क्षमता कम होती है ।

सजल माइका वर्ग में इलाइट महत्वपूर्ण होता है । इसका क्रिस्टल जालक 2 : 1 प्रकार का होता है (2 : 1 lattice structure) अर्थात् प्रत्येक क्रिस्टल की इकाई में दो सिलिका परतों के बीच एक परत एलुमिना (गिब्बसाइट) होती है । क्रिस्टल की दो इकाइयों के बीच में पोटेशियम आयन (K) स्थित होता है । पोटैशियम आयन ऋणात्मक आवेश के बहुत निकट स्थित होने के कारण सहलग्नता (linkage) बहुत मजबूत हो जाती है, फलस्वरूप कोई भी अन्य आयन या जल दो संरचनात्मक इकाइयों के बीच प्रवेश नहीं कर सकता है इसीलिये ये मॉन्टमोरिलोनाइट क्रिस्टलों की अपेक्षा कम फैलने वाले होते हैं । जल योजन, धनायन अधिशोषण, फैलाव, संकुचन, सुघट्यता, आदि गुण इलाइट में कम विकसित होते हैं लेकिन केओलीनाइट की अपेक्षा अधिक होते हैं ।

मॉन्टमोरिलोनाइट वर्ग में मॉन्टमोरिलोनाइट क्ले सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है । इसमें भी इलाइट की भाँति एक क्रिस्टल जालक में दो सिलिका परतों के बीच एक परत एलुमिना होती है (2 : 1 lattice structure) । इसमें ऋणात्मक आवेश का कारण ऐलुमिनियम आयन्स का आयरन एवं मैग्नीशियम आयन्स द्वारा प्रतिस्थापन है । मॉन्टमोरिलोनाइट के जालक की संरचनात्मक इकाइयाँ आपस में बहुत कमजोर ऑक्सीजन सहलग्नताओं द्वारा इतनी ढीली जुड़ी होती हैं कि क्रिस्टल जालक आसानी से फैल जाता है क्योंकि सहलग्नता कमजोर होने के कारण धनायन्स व जल दो इकाइयों के बीच प्रवेश कर जाते हैं मॉन्टमोरिलोनाइट की धनायन अधिशोषण क्षमता, फैलने व सिकुड़ने की क्षमता , सुघट्यता ससंजन सबसे अधिक होता है ।

क्ले खनिजों के कारण भूमि को कोलाइडी, ससंजक (cohesive) और आसंजक (adhesive) गुण प्राप्त होते हैं । खनिज पोषक तत्वों को अधिशोषित करके उनके पानी द्वारा बहने से या निक्षालन (leaching) से बचाते हैं । ये अधिशोषित तत्व भस्म विनिमय घटन (base exchange) द्वारा मृदा विलयन में आकर पौधों को प्राप्त हो जाते हैं । क्ले, मृदा का बहु सक्रिय अवयव है । अच्छी संरचनाओं के विकास के लिये क्ले आवश्यक पदार्थ है ।


2. रासायनिक संघटन के आधार पर खनिजों का वर्गीकरण -


रासायनिक संगठन के आधार पर खनिज निम्नलिखित प्रकार के होते हैं -

( i ) तत्व -

हीरा, गन्धक आदि, खनिज तत्व समूह में आते हैं ।

( ii )ऑक्साइड ( Oxides ) —

इसके अन्तर्गत क्वार्ट्ज, हीमेटाइट, मैग्नेटाइट, लाइमोनाइट, आदि आते हैं ।

( iii ) कार्बोनेट वर्ग -

कैल्सियम व मैग्नीशियम के हाइड्रोक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड के साथ प्रक्रिया कर कार्बोनेट वर्ग बनते हैं ।

कार्बोनेट वर्ग के मुख्यत: खनिज निम्नलिखित हैं -

  • केल्साइट
  • डोलोमाइट
  • मैग्नेसाइट
  • साइडेसाइट

( iii ) फेल्सपार वर्ग ( Feldspar ) —

ये खनिज अधिक महत्वपूर्ण हैं ।

फेल्सपार वर्ग दो वर्गों में विभाजित किया गया है -

  • आर्थोक्लेज ( Orthoclase ) फेल्सपार — यह अम्लीय चट्टानों का विशेष अंग माना जाता है । मृदा से प्राप्त होने वाला पोटाश इसी के अपक्षय से प्राप्त होता है (पोटाश फेल्सपार) । आर्थोक्लेज फेल्सपार के जल विश्लेषण से क्ले खनिजों का निर्माण होता है जो चिकनी मिट्टी के मुख्य अवयव होते हैं ।
  • प्लेजियोक्लेज फेल्सपार ( Plagioclase feldspar ) - कैल्सियम फेल्सपार, सोडियम फेल्सपार, सोडा लाइम फेल्सपार

( iv ) माइका वर्ग ( Micas ) — 

इनकी रचना अति संकीर्ण होती है । यह पोटैशियम, हाइड्रोजन, आयरन, मैग्नीशियम तथा लीथियम, आदि के हाइड्रेटिड ऐलुमिनियम आर्थोसिलिकेट होते हैं ।

माइका वर्ग दो प्रकार के होती हैं -

  • मस्कोवाइट ( सफेद माइका ) — यह पोटैशियम, ऐलुमिनियम सिलिकेट होता है ।
  • बायोटाइट ( काली माइका ) - यह पोटैशियम, ऐलुमिनियम, मैग्नीशियम, आयरन के सिलिकेट होते हैं ।

( v ) एपेटाइट ( Apatite ) —

यह क्रिस्टलीय कैल्सियम फॉस्फेट है । मृदा फॉस्फोरस का स्रोत है ।

( vi ) हार्नब्लेंडे ( Hornblende ) -

इसके अन्तर्गत निम्नलिखित खनिज आते हैं -

  • कैल्सियम सिलिकेट
  • आयरन सिलिकेट
  • ऐलुमिनियम सिलिकेट
  • मैग्नीशियम सिलिकेट

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