जब किसी कृषिकृत भूमि पर वर्षा, बाढ़ अथवा सिंचाई के कारण अत्यधिक जल एकत्रित हो जाता है तो उस स्थिति को जल भराव या जलमग्नता (waterlogging in hindi) कहा जाता है ।
अत्यधिक जल एकत्रित होने के कारण उसमें उपस्थित पौधों की वृद्धि व बढ़वार रुक जाती है तथा भूमि कृषि के अयोग्य हो जाती है तब वह भूमि जलमग्न भूमि या जल भराव भूमि (waterlogged soil in hindi) कहलाती है ।
जलमग्न भूमि किसे कहते है | waterlogged soil in hindi
अधिक जल वाली परिस्थितियों में भूमि में सामान्य रूप से फसलों को उगाना भी सम्भव नहीं हो पाता है ऐसी भूमियों को जलमग्न भूमि (waterlogged soil in hindi) कहते हैं ।
जिन क्षेत्रों में जल भराव (जलमग्नता) की समस्या उत्पन्न हो जाती है उन क्षेत्रों को जलमग्न क्षेत्र (waterlogged area in hindi) कहा जाता है ।
जल भराव किसे कहते है इसके कारण एवं जलमग्न भूमि के कुप्रभाव लिखिए |
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जलमग्नता किसे कहते है | waterlogging in hindi
भूमि में उगी हुई फसल के जड़ क्षेत्र तक जल स्तर का आ जाना और पौधे की वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव डालना जलमग्नता (waterlogging in hindi) कहलाता है ।
दलदली भूमि किसे कहते है | swamp soil in hindi
जब कृषिकृत भूमि पर अत्याधिक सिंचाई, वर्षा या बाढ़ का अतिरिक्त जल लगातार भूमि पर लम्बी अवधि तक जमा रहता है और भूमि लिजलिजी हो जाती है वह भूमि दलदली भूमि (swamp soil in hindi) कहलाती है । जल भरा होने से इन भूमियों में वायु का संचार नहीं होता है ।
जलमग्न तथा दलदली भूमियों में अन्तर है | difference between waterlogged and swamp soils in hindi
भूमियों की जलमग्नता स्थाई अथवा अस्थाई हो सकती है । भूमियों के लगातार स्थाई रूप से जलमग्न रहने के कारण ये दलदली बन जाती है ।
जलमग्न भूमियों को जल निकास द्वारा ठीक किया जा सकता है जबकि दलदली भूमियों को खेती योग्य बनाना कठिन उत्तर होता है ।
जलमग्नता या जल भराव के कारण होते है | causes of waterlogging in hindi
हमारे देश में जलाक्रान्त क्षेत्रों में स्थाई कृषि उत्पादन एक महत्वपूर्ण समस्या है । हमारे देश का 2.6 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्रफल जलमग्नता (waterlogging in hindi) से प्रभावित है ।
जल भराव के प्रमुख कारण -
- भूमि में जलमग्नता खेतों की अत्यधिक जल से सिंचाई
- अधिक वर्षा
- सीमित जल निकास
- नदियों में बाढ़ आना
- भूमि की पारगम्यता में कमी
- सिंचाई जल में लवणों की उपस्थिति
- भूमि का ऊँचा - नीचा होना आदि कारणों से होती है ।
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पौधों पर जलमग्नता के कुप्रभाव | effects of waterlogging on plants in hindi
स्थाई भूमि विकास का मूल उद्देश्य कृषि उत्पादन को स्थाई रूप से बढ़ाना है । कृषि उत्पादन को बढ़ाने में जल निकास का महत्वपूर्ण स्थान है ।
कृषिकृत भूमियों में अधिक वर्षा के कारण, अत्याधिक सिंचाई, प्राकृतिक जल निकास के अभाव, नदियों में बाढ़ तथा विभिन्न अन्य कारणों से पानी भर जाता है ।
भूमि एवं पौधों पर जल भराव के कुप्रभाव -
- यह पानी खेत में उगी हुई फसल के जड़ क्षेत्र में वायु संचार में अवरोध उत्पन्न करता है ।
- भूमि के ताप को प्रभावित करता है और कृषण क्रियाओं के करने में विलम्ब उत्पन्न करता है ।
- इसके अतिरिक्त जल से भूमि का जल स्तर कभी - कभी बढ़कर पौधों के जड़ क्षेत्र तक आ जाता है ।