भारत में पशुपालन एवं डेयरी पशुओं की पूरी जानकारी हिंदी में

प्राचीनकाल से ही भारत में पशुपालन एवं डेयरी पशुओं का संबंध मनुष्य से रहा है, जिससे मनुष्य अपने उद्देश्य एवं पालन पोषण की पूर्ति करता रहा है ।

आज के समय में पशुपालन (animal husbandry in hindi) जैसे गाय, भैंस, भेड़, बकरी, ऊंट एवं मुर्गी इत्यादि का पालन पोषण वैज्ञानिक तरीके से किया जाने लगा है ।

पशुपालन क्या है | animal husbandry in hindi

पशुपालन (animal husbandry in hindi) में मवेशी, भेड़, बकरी, घोड़ा, ऊँट, खच्चर आदि को सम्मिलित किया जाता है ।

मवेशी या कैटल (Cattle) शब्द में गाय (व्यस्क मादा), सांड (बिना बधियाकरण के व्यस्क नर), बैल (बधियाकृत व्यस्क नर) एवं स्टीयर (यूवा बधियाकृत नर) को सम्मिलित किया जाता है ।

दुग्ध प्रदान करने वाले दुधारू पशु भारत में गाय, भैंस, बकरियाँ तथा ऊँट दूध देने वाले मुख्य पशु हैं ।

पशुपालन की परिभाषा | defination of animal husbandry in hindi

"पालतू पशुओं की उचित देखरेख, आहार तथा प्रजनन व्यवस्था के अध्ययन को पशुपालन (animal husbandry in hindi) कहा जाता है ।"

"Animal husbandry is the study of proper care, feeding and breeding of domestic animals."


भारतीय कृषि में पशुपालन का महत्व है | Impotance of animal husbandry in agriculture hindi

भारत एक ऐसा देश है, जिसकी अधिकांश जनसंख्या गांव से है ।

गांव के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि (agriculture in hindi) है वह किसी से अपनी अवश्य आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं और अपना जीवन निर्वाह करते है ।

भारतीय गांव के किसान विभिन्न प्रकार के पशु पालकर उनसे अपनी आवश्यकताओं जैसे - दूध दही मांस अंडा आदि प्राप्त करते है ।

इसके अतिरिक्त पशुओं से प्राप्त गोबर जिससे जीवांश खाद तैयार की जाती है और उस खाद का उपयोग फसल उत्पादन के लिए किया जाता है ।

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राष्ट्रीय गोकुल मिशन

भारतीय सरकार ने 28 जुलाई, 2014 को देशी गायों के संरक्षण और नस्लों के विकास को वैज्ञानिक तरीके से प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन की शुरुआत की ।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन राष्ट्रीय पशु प्रजनन एवं डेयरी विकास कार्यक्रम पर आधारित योजना है ।


राष्ट्रीय गोकुल मिशन के प्रमुख उद्देश्य निम्न प्रकार है -

देशी नस्लों का विकास और संरक्षण, दूध उत्पादन तथा उत्पादकता बढ़ाना, नॉन - डेसक्रिप्ट पशुओं का गिर, साहीवाल, राठी, देउनी, थारपारकर, रेड सिंधी तथा अन्य स्वदेशी नस्लों के जरिए अपग्रेडेशन करना तथा पशुओं में आनुवांशिक सुधार के लिए नीति बनाना ।


भारत में डेरी पशुओं की स्थिति एवं उनका उत्पादन

भारत में गाय का धार्मिक दृष्टि से एक विशिष्ट स्थान है । जन जीवन में उसका आदि काल से माँ का स्थान प्राप्त है ।

आर्थिक दृष्टि से भी गाय का कुछ कम महत्त्व नहीं है , प्रधानत: जबकि जन समूह का अधिकांश भाग शाकाहारी है जिसके पोषण हेतु दूध एवं दुग्ध पदार्थ अनिवार्य रूप से आवश्यक हैं ।

हमारे देश का मुख्य व्यवसाय कृषि है ।

आज हमारे देश में खाद्य - समस्या का कुछ सीमा तक निराकरण हो चुका है । इसके समाधान में कृषि के साथ - साथ पशुपालन का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है ।

मनुष्य कृषि के बिना रह सकता है, अर्थात् पशुओं के बिना ।

"We can think of man without of agriculture but not without animals."

कृषि प्रधान देश होने के नाते देश की नींव सुदृढ़ व स्थायी बनाने हेतु उन्नतिशील जाति के पशु होना एवं उनका उचित प्रजनन अनिवार्य है और यही सफलता का प्रथम चरण है ।

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भारत में डेरी पशुओं की वर्तमान स्थिति ( Present position of Dairy animals )

मनुष्य को हर स्थान पर चाहे वह किसी महानगर में रहता हो अथवा किसी झोपड़ी में, उसे पशुओं की प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप में आवश्यकता होती है ।

घरेलू पशु कृषकों के चलते - फिरते बैंक है, जहाँ पशुओं का पालन पोषण होता है वहाँ सभ्यता उन्नति करती है, भूमि उपजाऊ होती है, मनुष्य जाति अधिक स्वस्थ एवं समृद्ध होती है ।


निम्न तालिका में डेरी पशुओं की संख्या का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया गया है -

  • गो पशु = विश्व 1982 : भारत 1996-97 = 127.7 : 20.9 (करोड़) ।
  • भेंस = विश्व 1982 : भारत 1996-97 = 13.0 : 9.2 (करोड़) ।
  • भेड़ = विश्व 1982 : भारत 1996-97 = 116.0 : 5.6 (करोड़) ।
  • बकरियां = विश्व 1982 : भारत 1996-97 = 48.0 : 12.0 (करोड़) ।

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